किसने और कब ऱखी थी कुतुबमीनार की नींव ?

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कुतुबमीनार
कुतुबमीनार

किसने और कब ऱखी थी कुतुबमीनार की नींव ? (Who and when was the foundation of Qutub Minar )

क़ुतुब मीनार की लम्बाई – Qutub Minar ki Lambai

भारत देश के अंदर बहुत से स्मारक हैं, जो हमारे इतिहास की गौरवगाथा का प्रतीक है. मध्यकालीन भारत से संबंधित काफी ईमारते तथा स्मारक आज भी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व के पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बने हुए हैं. इन्ही इमारतों में से कुतुबमीनार एक महत्वपूर्ण इमारत है. भारत में बफ सेंड स्टोन से बनी यह भारत की सबसे ऊंची इमारत भी है. यह इमारत दिल्ली में स्थित है. इसका व्‍यास आधार पर 14.32 मीटर और 72.5 मीटर की ऊंचाई पर शीर्ष के पास लगभग 2.75 मीटर है.   

Qutub Minar 1 -
कुतुबमीनार

 कुतुबमीनार की नींव और निर्माण-

इस मीनार की नींव गुलाम वंश के शासक कुतुबद्दीन ऐबक 1199 ईं. में रखी थी. इनका निर्माण नमाज अदा करने की पुकार लगाने के उद्देश्य से किया गया था. इसी कड़ी में इसकी पहली मंजील का निर्माण किया गया था. इसके बाद कुतुबद्दीन ऐबक के बाद के शासको ने तथा उसके दामाद इल्तुतमिश ने इस इमारत में तीन मंजिलें और बनवाई. इसकी सभी मंजिलों के चारों ओर आगे बढ़े हुए छज्‍जे हैं जो मीनार को घेरते हैं तथा इन्‍हें पत्‍थर के ब्रेकेट से सहारा दिया गया है, जिन पर मधुमक्‍खी के छत्ते के समान सजावट है और यह सजावट पहली मंजिल पर अधिक स्‍पष्‍टतौर पर दिखाई देती है.

qutub minar -
कुतुबमीनार

कुतुबमीनार परिसर में महत्वपूर्ण स्मारक-

कुतुबमीनार के साथ-साथ इस परिसर में और भी कई महत्वपूर्ण स्मारक हैं. इनमें 1310 में निर्मित एक द्वार, अलाइ दरवाजा, कुवत उल इस्‍लाम मस्जिद; अलतमिश, अलाउद्दीन खिलजी तथा इमाम जामिन के मकबरे; अलाइ मीनार तथा इसके साथ ही एक सात मीटर ऊंचा लोहे का स्‍तंभ आदि. इस लौह स्तंभ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इतने वर्षों के बाद भी इसको जंग नहीं लगा है.

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कुतुबमीनार के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूनेस्को के द्वारा भारत की इस महत्वपूर्ण इमारत को विश्व विरासत का दर्जा दिया गया है.

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