नई दिल्ली: भारतीय सिनेमा ने हम सभी में अपना अच्छा खास प्रभाव छोड़ा है. अगर हम भारतीय सिनेमा के इतिहास की बात करें तो जब हिंदी सिनेमा शुरू हुआ, तब वह कुछ कठोर नियमों से बंधा हुआ था. तमाम किरदारों के लिए उनकी स्पष्ट भूमिकाएँ थी, जिन्हें वो बखूबी निभाते भी थे. एक मूवी में नायक, सह नायक, खलनायक, अभिनेत्री समेत कई किरादर हुआ करते है. लेकिन उस दौरान कोई भी नायक को मसखरी करते हुए देखना नहीं पसंद करते थे. उसके लिए फिल्मों में हास्य अभिनेताओं की एक अपनी अहम जगह थी. लेकिन जैसे-जैसे दौर बदलता गया वैसे-वैसे इन हास्य किरदारों की छवि भी बड़े पर्दे पर फीकी होती गई.
क्या कारण है कि बॉलीवुड फिल्मों से कॉमेडियन हो रहें है गायब
इसकी एक नहीं कई वजह हो सकती है जैसे आज कल के अभिनेता खुद कॉमेडियन के रोल को निभाते है क्योंकि आज के समय में अपने किरदार के प्रति वर्सटाइल (बहुमुखी) होना काफी जरूरी हो गया है. ये ही नहीं काफी फिल्मों में आपने अभिनेता को खुद ही अभिनय के साथ निर्देशन, उत्पाद, गाना गाते और कॉमेडी करते हुए देखा है. इसका साफ उदाहरण है फरहान अख्तर.
हिंदी सिनेमा प्रेम कहानी के आस-पास ही घूमती है
आज भी हिंदी सिनेमा प्रेम कहानी के आस-पास ही घूमती है जिसके कारण कॉमेडी वाले अंश को प्रमुखता से नहीं दिखाया जाता है. साथ ही साथ गलियों का भी इस्तेमाल किया जाता है और किसी के पहनावे पर भी टिप्पणी को कॉमेडी का रूप दे दिया जाता है. इन्हीं कारण से असल कॉमेडी छुप जाती है.
पुराने कॉमेडी कलाकार के द्वारा छोड़ी गयी जगह को आज तक कोई भी बखूबी नहीं निभा \पाया
एक मुख्य वजह ये भी हो सकती है कि पुराने कॉमेडी कलाकार के द्वारा छोड़ी गयी जगह को आज तक कोई भी बखूबी नहीं निभा पा रहा है. आज कल को लोगों को एक्शन वाली मूवी देखना ज्यादा पसंद है इस वजह भी कॉमेडियन लुप्त होते जा रहें है. एक अहम वजह ये भी है कि पहले हास्य किरदारों के लिए मूवी में एक अहम जगह होती थी जो आज के सिनेमा में नहीं देखने को मिल रहीं है. पहले सिनेमा में कहानी, निर्देशक और कलाकार प्रमुख थे लेकिन वर्तमान हिंदी फिल्मों में सिर्फ असंगत चीजे अधिक है.