इन्दिरा गांधी कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा क्यों कहती थी?

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इन्दिरा गांधी कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा क्यों कहती थी?

मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बने कमलनाथ को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपना ‘तीसरा बेटा’ मानती थीं। कमलनाथ एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए गांधी-नेहरू परिवार की तीन पीढ़ियों … इंदिरा गांधी, राजीव गांधी एवं राहुल गांधी के साथ काम किया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक बार उन्हें अपना ‘तीसरा बेटा’ कहा था, जब उन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में उनकी मदद की थी।

कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है। देहरादून स्थित दून स्कूल के छात्र रहे कमलनाथ ने राजनीति में आने से पहले सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से स्नातक किया। वह वर्ष 1980 में पहली बार मध्यप्रदेश की छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद बने और नौ बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। कमलनाथ की छवि वैसे तो काफी साफ-सुथरे नेता की है लेकिन हवाला कांड में नाम आने की वजह से वह 1996 में आम चुनाव नहीं लड़ पाए थे।

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तब पार्टी ने उनकी जगह उनकी पत्नी अलका नाथ को छिन्दवाड़ा का टिकट दिया था जो भारी मतों से विजयी हुई थीं।यह वो दौर था जब देश ‘इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया’ के नारे सुन चुका था’, आपातकाल का वह दौर भी निकल चुका था जिसमें देश बदलती हुई राजनीति का गवाह बना था. वो इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर हो चुकी थीं जो गांधी-नेहरु विरासत की ध्वज पताका देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में लहरा चुकी थीं.

तारीख थी 13 दिसंबर 1980, नारा बदल चुका था, ‘इंदिरा लाओ देश बचाओ’ के नारे के साथ कांग्रेस फिर से धूल झाड़कर खड़ी होने की कोशिश में थी. केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक मंच सजा हुआ था, माइक पर कांग्रेस की अध्यक्ष इंदिरा गांधी मंच पर ही बैठे एक युवा उद्यमी की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ‘ये सिर्फ कांग्रेस नेता नहीं हैं, राजीव और संजय के बाद मेरे तीसरे बेटे हैं.

कमलनाथ तब दून कॉलेज में पढ़ते थे जब उनकी दोस्ती संजय गांधी से हुई थी. राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से स्नातक किया. संजय गांधी उन्हें राजनीति में लेकर आए. दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में उनकी दोस्ती खूब जमी. कभी वे गांधी परिवार की कार चलाते दिखते तो कहीं किसी सभा में संजय गांधी के साथ दिखते. आपातकाल के दौर में वे गांधी परिवार के साये के रूप में बने रहे. यहां तक कि नारे भी लगे, ‘इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी और कमलनाथ’

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दरअसल पहली बार जब कमलनाथ चुनाव लड़ रहे थे तो इंदिरा गांधी उनके लिए प्रचार करने छिंदवाड़ा पहुंची थीं. कमलनाथ को तीसरा बेटा इंदिरा गांधी ने यूं ही नहीं कह दिया था. कमलनाथ उसी छिंदवाड़ा से पहली बार सांसद बने, तबसे लागातर 2018 में नौवीं बार छिंदवाड़ा से ही सांसद बनते रहे. और ताउम्र इंदिरा गांधी को वे ‘मां’ ही कहते रहे. इंदिरा के बाद संजय गांधी और राजीव गांधी के करीबी रहे. उसके बाद सोनिया गांधी के विश्वासपात्र बने रहे.

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