फिल्मी जगत में दादा साहब फाल्के अवार्ड का महत्व इतना क्यों है ?

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दादा साहब फाल्के
दादा साहब फाल्के

भारतीय फिल्मी जगत में दादा साहब फाल्के अर्वाड का बहुत महत्व है. यह अवार्ड भारत में फिल्मी क्षेत्र का सबसे बड़ा अर्वाड माना जाता है. इस अर्वाड के महत्व को अच्छे से समझने के लिए हमें दादा साहब फाल्के के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी होना जरूरी है. दादा साहब फाल्के का असली नाम धुंडिराज गोविंद फाल्के था. दादा साहेब ने ‘फाल्के फिल्म कंपनी’ की शुरुआत की और उसके बैनर तले राजा हरिश्चंद्र नाम की फिल्म बनाने का फैसला किया जिसे बनाने में लगभग उन्हें छह महीने का समय लगा.

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दादा साहब फाल्के

दादा साहब फाल्के का भारतीय सिनेमा में बहुत बड़ा योगदान है. इनको भारतीय सिनेमा का जनक या पितामह भी कहा जाता है. उनके इसी योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उनके सम्मान में दादा साहब फाल्के अवार्ड देना शुरू किया. इस सम्मान को 1969 में शुरू किया गया था.

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रजनीकांत

अभी हाल ही में दक्षिण फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत (Rajinikanth) को 51वां दादा साहब फाल्के अवार्ड देने का ऐलान कर दिया है. पहला दादा साहब फाल्के सम्मान पाने का सौभाग्य देविका रानी को मिला था. यह सम्मान प्राप्त करने वाले को ईनाम के तौर पर एक स्वर्ण कमल मैडल तथा 10 लाख रूपये दिए जाते हैं.  दादा साहब फाल्के द्वारा तैयार की गई नींव पर ही वर्तमान समय में भारतीय सिनेमा तरक्की कर रहा है. इसकी शुरूआत का श्रेय दादा साहब फाल्के को ही जाता है. 16 फरवरी 1944 को दादा साहब फाल्के का देहांत हो गया.

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यह पुरस्कार सिनेमा जगत में दिया जाता है. दादा साहब फाल्के द्वारा सिनेमा जगत में इतना महत्वपूर्ण योगदान देने के कारण ही सिनेमा जगत का इसे सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है. यह पुरस्कार सिनेमा जगत में बहुमूल्य योगदान देने वाले कलाकार को ही दिया जाता है. फिल्मी दुनिया का यह बहुत बड़ा सम्मान है.