जानिए नागपंचमी के बारे में

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जानिए नागपंचमी के बारे में

नागपंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. पूरे भारत वर्ष में हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग की पूजा की जाती है. इस पर्व को नाग पंचमी कहा जाता है. इस दिन लोग नाग देवता या फिर सर्प की पूजा करते है और उसे दूध से स्नान करते है. बता दें कि हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के साथ -साथ उनके द्वारा उपयोंग किए गए वाहनों की भी पूजा की जाती है.

जिसमें कई चीजें शामिल है. कई जानवर, पक्षी, सरीसृप, फूल, वृक्ष आदि इसी का एक उदाहरण है नाग पंचमी, यह एक ऐसा पर्व है, जहां सांप या नाग को देवता मानकर उसकी पूजा की जाती है. इतना ही नहीं इस दिन लोग उपवास भी रखते है साथ ही नाग को दूध पिलाते है और नाग की मूर्ती पर दूध का अभिषेक भी किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन उपवास रखना फलदायी होता है, जिसे शुभ माना जाता है.

इस बार नाग पंचमी की खास बात तो यह है कि ये नाग पंचमी सोमवार के दिन पड़ी है. यह सभी जानते है कि सोमवार को भगवान शिव शंकर का दिन माना गया है. यही वजह है कि सोमवार के दिन पड़ने से इस बार की नाग पंचमी का महत्‍व और ज्यादा बढ़ गया है.

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नाग पंचमी का महत्‍व
हिन्दू धर्म में नाग को देवता का रूप माना जाता है और उसकी पूजा भी की जाती है. दरअसल हिन्दुओ में नाग को भगवान शिव के गले का हार कहा जाता है. यही नहीं वह सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु की शैय्या माना जाता है. इसके अलावा नागों का लोगों के जीवन में गहरा महत्व कहा जाता है. सभी जानते है कि सावन के महीने में जमकर बारिश होती है. जिसके कारण नाग जमीन से निकलकर बाहर आते है. ऐसा कहा जाता है कि नाग देवता को दूध पिलाने से वह किसी को नुकसान नहीं पहुचातें है. यही नहीं जिसके कुंडली में नाग दोष होता है, नाग को दूध पिलाने से वह दूर हो जाता है. कई ऐसे ज्‍योतिष है जो यह कहते है कि अगर कुंडली में काल सर्प दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा और रुद्राभिषेक करना चाहिए, जिससे यह दोष कम हो जाता है. साथ ही आपके साथ कुछ भी बुरा होने की संभावना नहीं होती है.

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नाग पंचमी की पूजा करने की विधि
नाग पंचमी के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाएं उसके बाद नाग पंचमी का व्रत रखें. नाग देवता का आह्वान कर उन्‍हें बैठने के लिए आसन तैयार करें. फिर जल पुष्प और चंदन का चढ़ाएं. उसके बाद दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग की प्रतिमा को स्नान कराएं. इसके बाद प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढ़ाना चाहिए. फ‍िर लड्डू और मालपुए का भोग लगाएं. फिर सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप-दीप, ऋतु फल और पान का पत्ता चढ़ाने के बाद आरती करें. शाम के समय नाग देवता की फोटो या प्रतिमा की पूजा कर व्रत तोड़ें.

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पौराणिक कथा
नागपंचमी की पौराणिक कथा में कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के माम ने कालिया नाम के नाग को कृष्ण को मारने के लिए भेजा था. जिसके बाद भगवान कृष्ण ने उसका सामना किया और उसे पराजित कर कहा कि वह यहां पर किसी भी गांव वालों को परेशान नहीं करेगा. तभी उसने भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए वचन दिया कि वो गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा और वहां से हमेशा-हमेशा के लिए चला जाएगा. कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है.

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