क्रिसमस को लेकर इस बहस की वजह क्या है?

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आप कोई त्योहार क्यूँ मनाते हैं? इसलिए कि आप उस उत्सव को लेकर उत्साहित हैं, या इसलिए कि किसी और के उत्सव पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना है?

आप अपने मज़हब से जुड़ी कोई बात अपने साथियों को किस वक़्त समझाते हैं, तब जब वो परेशान हो या तब जब वो किसी दूसरे की ख़ुशी में ख़ुश हो रहे हो।

कल से क्रिसमस की बधाइयों के संदेश मिल रहे हैं और इसी के साथ इसे न मनाने के उपदेश भी ठेले जा रहे हैं। कोई कह रहा है तुलसी पूजन दिवस है, कोई समझा रहा है कि नही ये गुनाह है। क्योंकि ईसाई तो ईसा अलहस्सलाम को ख़ुदा का बेटा मानते हैं। अरे भई जीसस क्या सिर्फ ईसाइयों के नबी हैं? नही। सच ये है कि ईसाई उनकी उम्मत है और नबी वो हम सबके हैं। हम जानते और मानते हैं कि वो बीबी मरियम के बेटे हैं। तो क्यों नही हम अपने यक़ीदे पर क़ायम रहते। क्यूँ अपनी बात को साबित करने के लिए, मनवाने के लिए हमे किसी और की बात काटना ज़रूरी है। वो ही मानते हैं कि वो ख़ुदा का बेटा है आप तो नही। आप ये तो मानते हैं कि वो पैदा हुए थे। एक नेक इंसान और ख़ुदा के अज़ीज़ पैगंबर होने के नाते उनके पैदा होने के दिन को ख़ुशी से मनाया जा सकता है। बाक़ी के ज्ञान की आज के ही दिन क्या ज़रूरत है। सिर्फ इसलिए क्योंकि कोई ख़ुश है और रंग में भंग डालना आपकी फितरत बन चुका है।

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ऐसे मौक़ों पर जीसस से जुड़ी ये बात तो आप ढोल पीटकर बताना चाहेंगे। मगर कोई बस इतना पूछ ले कि उनके वालिद केन थे? उनके दादा कौन थे? वो किस खानदान से थे या उन्होंने कौनसे ऐसे नेक काम किये जो ख़ुदा ने उन्हें इतना अज़ीज़ माना? चंद बेसिक सवालों में ही आप सामने वाले को काफ़िर और न जाने क्या-क्या साबित कर देंगे।

फ़िर इन सबसे इतर ये तुलसी पूजन दिवस, माता-पिता पूजन दिवस….ये भी बड़े महान लोग हैं। आज से 10 साल पहले तक ऐसे कोई दिवस नही थे। मगर अब सिर्फ ज़बरदस्ती और हेकड़ी दिखाने के लिए इस तरह की बातें और त्यौहार सामने लाये जा रहे हैं। आप तुलसी जी को भी पूजिये और माँ-बाप की पूजा तो रोज़ करिये, मगर इसलिए नही क्योंकि कोई और उस दिन कोई दूसरा पेड़ या कोई और देवता पूज रहा है। आज 50% हुन्दुओं के घर में भी तुलसी जी का पौधा नही मिलेगा, और अगर माँ-बाप से इतना ही प्यार होता तो हज़ारो ओल्डएज होम नही होते।

भगवान के लिए इस कपटीपने से निकालिए, जब आपकी आराधना में ही ईर्ष्या है तो भगवान उसे स्वीकार कर पाएगा। क्या पूजा के मूलभूत नियम भी नही जानते आप?

फ़िर किसी को भी किसी दूसरे के धर्म से या यक़ीदे से इतनी ही दिक्कत है तो फ़िर उससे जुड़ी हर चीज़ को ख़ुद से अलग करिये।

ये वक़्ती धार्मिकता वक़्त आने पर बहुत मेंहगी पड़ेगी।

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