आखिर क्यों राहुल गाँधी ने चुनी है वायनाड सीट?

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लोकसभा चुनाव सर पर है, और पार्टियों के लगभग सभी पार्टियों के उम्मीदवार घोषित होने लगे हैं. ऐसे में खबर आई कि कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गाँधी अमेठी के अलावा केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ेंगे. तो हमने सोचा क्यों न वायनाड सीट का इतिहास-भूगोल और उसके साथ वहां की चुनाव गणित से आपको रूबरू कराया जाय और कांग्रेस के लिए ये सीट महत्वपूर्ण क्यों है ये भी बताया जाय.

Waynad -

असल में वायनाड सीट 2008 में पहली दफा अस्तित्व मे आई और उसके बाद से ही इसपर कांग्रेस का कब्ज़ा है. यहाँ पर 2009 से लेकर अबतक सांसद हैं एमआई शानवास. और अब एमआई शानवास को रिप्लेस करेंगे राहुल गाँधी. कांग्रेस के लिए ये सीट महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सीट कांग्रेस का सियासी गढ़ रही है और अब राहुल गांधी खुद ही इस सीट से चुनाव लड़ कर अपनी सियासी जमीन को मज़बूत करने की कोशिश करेंगे. अब जबकि चुनावी लड़ाई में कांग्रेस हाशिये पर नजर आ रही है तो खुद कांग्रेस प्रेसिडेंट का वहां से चुनाव लड़ना बेहद दिलचस्प मालूम पड़ता है.

बात पुराने चुनावो की करें तो 2009 में कांग्रेस के शानवास साहब ने यहाँ से भारी जीत हासिल की थी. इन्होने सीपीआई के रहमतुल्लाह साहब को डेढ़ लाख से अधिक वोटों से हराया था. वहीं 2014 में लड़ाई में जीत काफी मामूली वोटो से हुई थी. 2014 में ये आंकडा महज बीस हज़ार का था.

Waynad election -

अब गठबंधन की बात करें तो कांग्रेस की गठबंधन का नाम है यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट. वही वामपंथी दलों के गठबंधन का नाम है लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट. आबादी की बात करें तो लगभग 50 प्रतिशत हिन्दू आबादी है, 28.65 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता और 21 प्रतिशत के करीब ईसाई मतदाता हैं. साक्षरता दर लगभग 80 प्रतिशत है.

अब ये देखना होगा कि प्रियंका गाँधी को उत्तर प्रदेश में कार्यभार देने के बाद राहुल दक्षिण की राजनीति को कैसे प्रभावित करते हैं. उनके सामने चुनौती अपनी पार्टी को फर्श से अर्श पर लाने की है.