शनि देव को धिमी चाल चलने वाला ग्रह माना जाता है.ऐसा कहा जाता है कि यह अपनी धीमी चाल के वजह से करीब ढ़ाई साल तक एक राशि में रहता है. शनि देव इतनी धीमी चाल क्यों चलते है इसके बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि उनकी इस धीमी चाल का कारण रावण के क्रोध और उनके बेटे मेघनाथ की अल्पआयु से जुड़ा हुआ है.
बता दें कि रावण ज्योतिष शास्त्र का महान ज्ञाता है और वह चहता था कि उसके पुत्र को कोई भी देवी- देवता उसके प्राण न ले सकें. जब रावण की पत्नी मंदोदरी गर्भ से थी तभी रावण ने यह इच्छा जताई थी कि उसका होने वाला पुत्र ऐसे ग्रह नक्षेत्र में पैदा हो जो एक बलशाली योध्दा और तेजस्वी बने.
बस अपनी इसी इच्छा के चलते रावण ने अपने पुत्र के जन्म के समय पर सभी ग्रहो को शुभ और सर्वश्रेष्ठ जगह पर रहने को कहा, वहीं सभी ग्रह रावण से भयभीत होकर रावण की इच्छा अनुसार उच्च स्थिति में विराजमान हो गये, केवल शनि देव ही एक ऐसे ग्रह थे जो रावण से बिल्कुल भी नहीं ड़रते थे.
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रावण यह बखुबी जानता था कि शनि देव रावण के कहे अनुसार ग्रह में विराजमान नहीं होगे. इसलिए रावण ने अपने बल से शनि देव को ऐसे जगह पर रखा जिससे रावण के पुत्र की आयु में वृध्दी हो सके, लेकिन शनि देव तो न्याय के देवता है. इसलिए वह रावण के मनचाहें ग्रह पर तो रहें लेकिन उन्होंने अपनी दृष्टि वक्री रखी थी. जिसके चलते रावण ने क्रोधित होकर गदा शनि देव के पैरो पर मार दिया. तभी से शनि देव धीमी चाल चलते है.