क्यों साधु अपने बाल बढ़ाते हैं और रुद्राक्ष की मालाएं धारण करते है?

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योगी और साधु तपस्या करते है और तपस्या में लीन रहने के कारण वो कभी भी बाल, दाढ़ी या पजीर अपने नाख़ून को नहीं काटते, वो अपने जीवन का अधिकतम समय तपस्या में लगाते है इसलिए उन्हें इन सब चीज़ों की सुध नहीं होती है। आपको यह भी बताना चाहेंगे कि जटा की तरह दाढ़ी भी नागा साधुओं की पहचान होती है। इसकी देखरेख भी जटाओं की तरह ही होती है। नागा साधु अपनी दाढ़ी को भी पूरे जतन से साफ रखते है।

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साधु लोग अपने गले में माला धारण करे रहते है। शैव संप्रदाय के लोग रुद्राक्ष की माला धारण करते है। भस्म की तरह नागाओं को रुद्राक्ष भी बहुत प्रिय है। कहा जाता है रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुए हैं। यह साक्षात भगवान शिव के प्रतीक हैं। इस कारण लगभग सभी शैव साधु रुद्राक्ष की माला पहनते हैं।

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ये मालाएं साधारण नहीं होतीं। इन्हें बरसों तक सिद्ध किया जाता है। ये मालाएं साधु की आभा का प्रतीक होता है। यह भी माना जाता है कि अगर कोई नागा साधु किसी पर खुश होकर अपनी माला उसे दे दे तो उस व्यक्ति को काफी लाभ होता है। कईं साधु रत्नों की मालाएं भी धारण करते हैं। महंगे रत्न जैसे मूंगा, पुखराज, माणिक आदि रत्नों की मालाएं धारण करने वाले नागा कम ही होते हैं। उन्हें धन से मोह नहीं होता लेकिन ये रत्न उनके श्रंगार का आवश्यक हिस्सा होते हैं।

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आपने अधिकतर साधु को देखा होगा कि लम्बे बाल और रुद्राक्ष के साथ यह उनका काफी महतवपूर्ण श्रृंगार होता है , जो उन्हें वास्तविक दुनिया से अलग दिखता है।