यह माना जाता है की किन्नरों के पास आध्यात्मिक शक्तियां का भंडार होता है यह भी कहा जाता है की उनके आशीर्वाद और बदुआ बहुत ही शक्ति होती है। अगर किसी किन्नर की मृत्यु हो रही हो और उस समय कोई आम आदमी जाकर उनसे आशीर्वाद ले तो वह आशीर्वाद बहुत रंग लाती है। इनका जीवन बसर करने का तरीका महिलाओं और पुरुषों दोनों से ही काफी अलग होता है ।
जब उनकी मृत्यु का समय समीप आता है तो घर से बहार जाना बंद कर देते है, खाना भी बंद करते हैं और सिर्फ पानी ही पीते हैं।इस चीज को एक तरह का उनकी तपस्या बी कहा जा सकता है, क्योंकि वह ऐसा करके ईश्वर को बोलते हैं अगले जन्म में हम लोग किन्नर का जन्म ना मिले।
उनकी शव यात्रा दिन की बजाय रात में निकाली जाती है. ऐसा इसलिए है ताकि किन्नरों की शव यात्रा कोई इंसान ना देख सके. दरअसल, अगर किसी किन्नर के मृत्यु के समय उसके शव को अंतिम यात्रा पर ले जाते हुए किसी ने देख लिया तो वह किन्नर दोबारा अगले जन्म में फिर से किन्नर बन जाता है इसलिए वह बहुत सावधानी से गुप्तरूप से किसी किन्नर का शव दफनाया जाता है। चौंकाने वाली बात यह भी है की किन्नर को चार कंधों पर लेटा कर नहीं बल्कि खड़ा कर के दफनाने के लिए ले जाया जाता है।
किन्नरों का मानना है कि किसी भी किन्नर की मृत्यु के बाद मातम मनाने की बजाय जश्न मनाना चाहिए क्योँकि उनके साथी को इस नरक समान जीवन से मुक्ति प्राप्त हो .किन्नर समाज में यह रिवाज़ कई सालों से चला आ रहा है. इनके समाज में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि इनकी शव यात्रा में किसी और समुदाय के किन्नर मौजूद ना हों.यही कारण है कि ये लोग अपने किसी के चले जाने के बाद भी रोते नहीं बल्कि ख़ुशियां मनाते हैं. इनके यहां अपनों की मृत्यु के बाद दान देने का भी रिवाज़ है, साथ ही ये भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनके जाने वाले साथी को अच्छा जन्म मिले. किन्नर समाज का सबसे अजीब रिवाज़ है कि वो मृत्यु के बाद शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं, उनका मानना है कि ऐसा करने से मरने वाले के सभी पाप और बुरे कर्म का प्रायश्चित हो जाता है ।
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समाज में पुरुष हो या महिला सबके साथ सामान रूप से व्यवहार किया जाता है , भारत ही नहीं अन्य देशो में भी उनके पास सामान अधिकार नहीं है। जिस कारण ही इन्होंने अपना खुद का एक समाज बना लिया है ।