क्या सरकार राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन विधेयक को पास करा पायेगी?

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केंद्र की मोदी सरकार ने कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन तय करने के लिए पहल की है। कोड ऑन वेजेस बिल यानी वेतन संहिता विधेयक के बारे में बुधवार को कैबिनेट की मीटिंग में इस बिल को मंजूरी दी गयी। इस बात की जानकारी सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट मीटिंग के बाद दी। कामगारों के वेतन से संबंधित मौजूदा कानून इस बिल के अंतर्गत आएंगे। इसके साथ ही यह सरकार को पूरे देश में न्यूनतम वेतन लागू करने में सक्षम बनाएगा।

वेतन संहिता विधेयक उन चार विधेयकों में से एक है, जो कुछ संशोधनों के साथ 44 लेबर कानूनों को अपने अंदर समाहित कर लेंगे। ऐसा इसलिए ताकि देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बेहतर हो सके और अच्छी ग्रोथ के लिए निवेश को आकर्षि​त किया जा सके। ये चार सहिंता वेतन, सोशल सिक्योरिटी, इंडस्ट्रियल सेफ्टी व वेलफेयर और इंडस्ट्रियल रिलेशंस के साथ डील करेंगे।

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कोड ऑन वेजेस बिल; पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट 1936, मिनिमम वेजेस एक्ट 1948, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट 1965 और इक्वल रिम्युनरेशन एक्ट 1976 की जगह लेगा। यह विधेयक केन्द्र सरकार को रेलवे और कोयले की खदान समेत चुनिंदा सेक्टर्स के लिए न्यूनतम वेतन तय करने में सक्षम करेगा। हालांकि राज्य रोजगार की अन्य कैटेगरी के लिए न्यूनतम वेतन तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

कोड ऑन वेजेस के चलते राष्ट्रीय न्यूनतम आय भी तय हो जायेगी। केन्द्र सरकार अलग-अलग राज्यों या क्षेत्रों के लिए अलग से न्यूनतम आय भी तय कर सकेगी। ड्राफ्ट लॉ में यह भी वर्णित है कि न्यूनतम आय को हर 5 साल पर संसोधित किया जाएगा।

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उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में पास कराने की को​शिश करेगी। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में 10 अगस्त 2017 को वेजेस कोड बिल को लोकसभा में पेश किया गया था। लेकिन उसके बाद विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया था, जिसकी रिपोर्ट 18 दिसंबर 2018 में सौंपी गई। हालांकि फिर यह विधेयक तब बीच में ही लटक गया, जब 16वीं लोकसभा को मई में भंग कर दिया गया।