उन्नाव रेप केस मामले में गवाहों की एक-एक कर मौत, साजिश या फिर इत्तेफाक

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उन्नाव रेप केस मामले में गवाहों की एक-एक कर मौत, साजिश या फिर इत्तेफाक

उन्नाव रेप केस का मामला उलझता जा रहा है. यूपी में सत्ताधारी दल के एक ताकतवर विधायक पर दो साल पहले रेप का मुकदमा दर्ज किया गया था. इतना ही नहीं विधायक को जेल भी भेजा गया और वह दो साल से जेल में बंद है, साथ ही मुकदमे की कार्रवाई अदालत में जारी है. जिसके चलते विधायक का भाई पीड़ित लड़की के पिता को पीटता है जिसके चलते उस लड़की के पिता की मौत हो जाती है.

आपको बता दें कि वह इस रेप केस के एक अहम गवाह थे और इनकी रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई. इसमें तीन और गवाह बचे हुए थे. जिसमें खुद पीड़िता और उसकी चाची व मौसी, जिनकी रविवार को एक सड़क हादसे में मौत हो गईं. वहीं पीड़िता और उसके वकील की हालत बहुत ज्यादा नाजूक बनी हुई है. अब चौका देने वाला सवाल यह है कि इस केस से जुड़े लोगों की एक-एक कर मौत हो रही है इन गवाहों की मृत्यू होना केवल एक इतेफाक है या फिर कोई साजिश?

17 साल की लड़की ने विधायक पर रेप का इलज़ाम लगाया था. जिसके बाद लड़की रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाती है. लड़की की मां जब पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने जाती है, तो वह लड़की वापस घर आ जाती है, तभी लड़की के पिता को विधायक के गुड़े बुरी तरह पीट देते है.

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जिसके बाद पुलिस लड़की के पिता को ही गिरफ्तार करके जेल भेज देती है. वहीं शरीर पर 14 गंभीर जख्म की वजह से उसके दो दिन बाद ही लड़की के पिता की जेल में मौत हो जाती है. इसी बीच लड़की अपने परिजनों के साथ विधायक और उसके भाई के खिलाफ केस दर्ज करवाने जाती है, तो पुलिस उसकी एक नहीं सुनती है.

आखिर में लड़की इंसाफ के लिए लखनऊ पहुंचकर मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश करती है. मामला मीडिया में आता है. मुख्यमंत्री सीबीआई जांच का आदेश देते हैं. जिसके बाद इस मामले पर विधायक और उसके भाई व उसके अन्य साथियों के साथ मुकदम दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया जाता है. मुकदमा शुरू होने के बाद इस रेप के मामले में दो गवाह बचें थे उनकी भी सड़क हादसे में मौत हो जाती है. जबकि लड़की और उसका वकील फिलहाल अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं.

अगर इसे इत्तेफाक कहा जाए तो सवाल यह है कि क्या एक इंसान की जिंदगी में इतने इत्तेफाक हो सकते है? पहले एक-एक कर गवाह की मौत. फिर पुलिस की इतनी सुरक्षा होने के बावजूद हादसे के वक्त पुलिस की गैर-मौजूदगी. पुलिस का यह कहना कि कार में पुलिस वालों के बैठने के लिए जगह ही नहीं थी. जिस ट्रक ने गवाहों के कार को उड़ाया, उसके नंबर प्लेट पर कालिख का पुता होना. हादसे के बाद ड्राइवर का मौके से भाग जाना. यह सब हैरान करने वाले इत्तेफाक है. या फिर यह एक सोची समझी साजिश है. खैर इस बारे में बता पाना बहुत ही मुश्किल है और जांच पड़ताल जारी है.

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उन्नाव के इस मामले को देखते हुए आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि यह ठीक पुराने जमाने की हिंदी फिल्मों की तरह ही दौराया गया है. जिसमें गांव का कोई ज़मीनदार, नेता या दबंग व्यक्ति. अपनी दुश्मन को किस तरह से रास्ते से हटाता है. लेकिन यह कहानी फिल्मी पर्दे के बाहर की है. और बिल्कुल सच भी है. इस कहानी में अब तक जो-जो घटना हुई है वो सब सिर्फ इत्तेफाक हो इस पर यकीन करना बहुत ही मुश्किल है.