World Environment Day: विश्व पर्यावरण दिवस पर जानिए दिल्ली में प्रदूषण का हाल, हवा में बढ़ती ओजोन गैस ने दे दी नई टेंशन

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World Environment Day: विश्व पर्यावरण दिवस पर जानिए दिल्ली में प्रदूषण का हाल, हवा में बढ़ती ओजोन गैस ने दे दी नई टेंशन

नई दिल्ली: साल 2022 में गर्मी के मौसम में भी दिल्ली की हवा साफ देखने को नहीं मिली। दिल्ली का प्रदूषण स्तर पीएम 2.5 पर ही बना रहा। गर्मी ज्यादा होने की वजह से जमीनी स्तर पर ओजोन गैस की मात्रा में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जिसकी वजह से दिल्ली एनसीआर की हवा ज्यादा जहरीली हो गई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरनमेंट (सीएसई) की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के बाद मुंबई दूसरी सबसे अधिक प्रभावित मेट्रो सिटी है।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी का कहना है कि ओजोन गैस बढ़ने की वजह से गर्मी के मौसम में भी दिल्ली की हवा जहरीली रही। ऐसा नहीं है कि प्रदूषण को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्र में कोयले के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि ओजोन गैस बढ़ने की वजह से दिल्ली के अंदर प्रदूषण का स्तर और ज्यादा बढ़ेगा।

पहले की तुलना में जागरुकता बढ़ी
पहले की तुलना में जागरुकता बढ़ी है, लोग इस विषय पर खुलकर बात कर रहे हैं। जरूरी है कि दिल्ली में जल्द से जल्द पब्लिक ट्रांसपोर्ट की संख्या में इजाफा किया जाए। लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करने के लिए जागरूक किया जाए। बढ़े स्तर पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दिया जाए। ताकि ओजोन गैस को बढ़ने से रोका जा सके। अगर जल्द से जल्द कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले समय में गंभीर स्वास्थ्य संकट का भी सामना करना पड़ सकता है। साथ ही गैस के स्तर को बढ़ने से रोकने के बहु-रणनीति तैयार की जाए।

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क्या है ग्राउंड ओजोन गैस, बढ़ रहा है क्यों
ओजोन ऑक्सिजन के तीन परमाणुओं से बनी गैस है। यह पृथ्वी के ऊपरी स्तर, वायुमंडल और जमीनी स्तर पर होती है। वायुमंडल की ओजोन अच्छी होती है क्योंकि यह सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है। जिसे हम स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन के नाम से भी जानते हैं। जबकि जमीनी स्तर की ओजोन खराब होती है। इसकी वजह से विभिन्न तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां होने का डर रहता है। यह सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्गों और बच्चों को करती है। इससे रेस्पिरेट्री सिस्टम से संबंधित बीमारियां होने का डर बना रहता है। साथ ही अस्थमा से पीड़ित मरीजों पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालती है। कार, बिजली संयंत्र, औद्योगिक बॉयलरों, रिफाइनरियां, रासायनिक स्त्रोत सूर्य के प्रकाश के प्रभाव में आने की वजह से ओजोन प्रदूषण उत्पन्न होता है। इसके बढ़ने का कारण लैंडफिल साइट्स में लगती आग, बढ़ती व्हीकल संख्या और पब्लिक टांसपोर्ट की कमी हैं।

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क्या कहती है रिपोर्ट
2022 के मार्च-अप्रैल के दौरान दिल्ली-एनसीआर में जमीनी स्तर में ओजोन प्रदूषण का भौगोलिक प्रसार पिछले चार वर्षों से सबसे अधिक देखने को मिला। बताया गया है कि इस बार लगभग 16 स्टेशनों ने दैनिक मानक को पार किया है, जो पिछले वर्ष मार्च और अप्रैल की तुलना में 33 फीसदी अधिक है। वर्ष 2020 में लॉकडाउन की वजह से ओजोन स्टेशनों की संख्या में कमी दर्ज की गई थी। लॉकडाउन की वजह से यातायात कम कर दिया गया था। इसकी वजह से एनओ 2 की मात्रा कम हो गई थी और सूर्यास्त के बाद जमीनी स्तर पर ओजोन टूटने लगा। रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली के साथ की जमीनी स्तर पर ओजोन गैस का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिला। दक्षिणी दिल्ली में डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज सबसे अधिक प्रभावित है। इसके बाद जेएलएन स्टेडियम, आरके पुरम, नेहरू नगर और नई दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। दिल्ली के बाहर ग्रेटर नोएडा प्रमुख हॉटस्पॉट है।

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थोड़े से बदलाव से प्रदूषण से बचा सकते है दिल्ली को
अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव लाकर दिल्ली निवासी खुद को प्रदूषण से बचा सकते हैं। जैसे कि थोड़ी दूर जाने के लिए व्हीकल का इस्तेमाल ना करें। पैदल या साइकल से जाएं। ऑफिस और अन्य जगह जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। वेस्ट सेग्रीगेशन पर ध्यान दिया जाए। लैंडफिल साइट के कूड़े का इस्तेमाल सड़क बनाने में किया जाए, जिससे धीरे-धीरे लैंडफिल साइट की ऊंचाई कम होती जाएगी।

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