दुनियां की 5 विलुप्त प्रजातियां

9157
दुनियां की 5 विलुप्त प्रजातियां
दुनियां की 5 विलुप्त प्रजातियां

आज हम आपके लिए एक ऐसी वीडियो लाएं है, जिसके बारे में आपको पहले से बिल्कुल भी पता नहीं होगा। जी हाँ, बॉलीवुड, ट्रलीवुड, वगैरा-वगैरा से जुड़ी हुई वीडियो तो आपने बहुत देखी होंगी लेकिन आज हम आपको जीव-जन्तुओं से जुड़ी हुई वीडियो के बारे में बताने जा रहे है।
जी हाँ, प्राचीन विश्व में कई ऐसे जीवजंतु थे जो समय के साथ हमेशा के लिए विलुप्त हो गए। कुछ जानवरों के विलुप्त होने का कारण था जलवायु परिवर्तन तो कुछ के विलुप्त होने का कारण था मानव, जो लगातार उनके इलाके में घुसपैठ कर उनका शिकार कर रहा था। आज के इस एपिसोड में हम बात करेंगे ऐसे पांच जानवरों के बारे में जो हमेशा के लिए विलुप्त हो गए।

वुली मैमथ-
यह एक विशाल स्थनपाई माना जाता है। ये कुछ हद तक आधुनिक हाथी जैसे दिखते थे। ऐसा माना जाता है, इनके पूर्वज लगभग चार करोड़ साल पहले अफ्रिका से बाहर चले गए और उत्तरी यूरोशिया और उत्तरी अमेरिका भर में फैल गए। ये जानवर चार मीटर से अधिक लंबे होते थे एंव इनका वजन 6 टन से अधिक होता था। इनका पूरा शरीर फर यानि बालों से ढका हुआ था और इनके पास लंबी घूमावदार दांत हुआ करती थी। जिनकी लंबाई 5 मीटर से भी अधिक हुआ करती थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि वूली मैमथ मानव द्वारा शिकार और जलवायु परिवर्तन की मार नहीं झेल पाया एंव दस हजार साल पहले विलुप्त हो गया।

स्टेलर सी काऊ- इनका यह नाम प्रकृतिवादी जॉर्ज स्टेल.आर के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 1741 में इस प्राणी की खोज की थी। स्टेलर सी काऊ एक शाकाहारी स्तनपाई थी। यह आठ से नौ मीटर बढ़ सकते थे। इनका वजन आठ से दस टन के बीच होता था। इनका प्राकृतिक निवास मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिमी अलास्का एंव बैयरिंग सागर का कमांडर द्वीप हुआ करता था। यह जानवर बहुत वजनी हुआ करते थे, अपना सारा समय ‘सीवार’ जो एक समुद्री घास होता है उसे खाते हुए बिताया करते थे।

सेबरे टूथेड कैट- इन्हें अक्सर सेबरे टूथ टाइगर या सेबरे टूथ लॉयन कहा जाता था। यह पचपन लाख से ग्यारह हजार सात सौ साल पहले स्थित्व में थे, ये जानवर मांसाहारी थे औऱ इनका यह नाम उनके लंबे कैनाई जैसे दांतों के कारण पड़ा था। ये जानवर भालू जैसा दिखते थे और इन्हें बहुत उत्कृष्ट शिकारी माना जाता था। जो उस समय के सबसे विशालकाय जानवर जैसे- स्लॉट्स और मैमथ का शिकार किया करते थे। इनका जबड़ा बहुत मजबूत हुआ करता था, जो एक सौ बीस डिग्री के कोन में भी खुल सकता था।

डोडो- यह एक ना उड़ पाने वाला पक्षी था जो मॉरीशस में पाया जाता था। ये एक मीटर लंबे होते थे, इनका वजन 10 से 18 किलो होता था। सबसे पहले इनका उल्लेख डच नाविकों ने सन 1598 में किया था। ये पक्षी पालतू जानवरों एंव शिकारियों के कारण पूरी तरह विलुप्त हो गए। आखिरी डोडो सन 1665 में देखा गया था, जिसे सभी ने बिना मतभेद स्वीकार किया है।

वेस्ट अफ्रीकन ब्लैक राइनोसरस- ये मुख्य रूप से अफ्रीका के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में पाया जाता था। ये तीन से चार मीटर लंबे होते थे औऱ इनका वजन आठ सौ से तेरह सौ किलो होता था। इनके दो सींग होते थे एंव इनका आहार मुख्य रूप से पत्तेदार पौधे एंव झाड़ी थे। इनके विलुप्त होने का करण उनके सिंग को माना जाता है। जिनमें कई औषधीय गुण मौजुद थे, पर वैज्ञानिक इस तथ्य से इंकार किया करते थे। 1930 में इनके संरक्षण को लेकर कोशिशें शुरू की गई, पर इनकी संख्या में गिरावट जारी रही। आखिरी काला राइनो 2006 में कैमरुन में देखा गया था। यह प्रजाति 2012 में आधिकारीक रूप से विलुप्त घोषित कर दी गई।