Yogi Adityanath: गोरखपुर में बतौर सीएम विधानसभा चुनाव लड़ने वाले योगी दूसरे मुख्यमंत्री, क्या ‘बाबा’ तोड़ पाएंगे तिलिस्म

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Yogi Adityanath: गोरखपुर में बतौर सीएम विधानसभा चुनाव लड़ने वाले योगी दूसरे मुख्यमंत्री, क्या ‘बाबा’ तोड़ पाएंगे तिलिस्म

लखनऊ
गोरखपुर जिले में बतौर मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव लड़ने वाले योगी आदित्‍यनाथ (Yogi Adityanath Gorakhpur Saha) दूसरे नेता होंगे। उनसे पहले, वर्ष 1971 में त्रिभुवन नारायण सिंह (Tribhuvan Narayan Singh) ने मुख्यमंत्री रहते हुए गोरखपुर जिले की मानीराम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि वह हार गए थे।

एक ओर जहां विपक्षी दल योगी के खिलाफ, उनके उम्मीदवार बनने के बाद तीखी प्रतिक्रिया के साथ साथ मुख्यमंत्री के रूप में त्रिभुवन नारायण सिंह के चुनाव हारने का उदाहरण दे रहे हैं, वहीं गोरखपुर के आम निवासियों को उम्मीद है कि अगर योगी वहां से चुनाव जीतेंगे तो क्षेत्र का विकास होगा।

‘गोरखपुर में विकास की गंगा बहेगी और यही समय की मांग’
गोरखपुर निवासी और ‘उत्‍तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद’ के प्रदेश महामंत्री रविंद्र त्रिपाठी ने दावा किया ‘योगी ने गोरखपुर में विकास को नया आयाम दिया है। उनके चुनाव जीतने से गोरखपुर में विकास की गंगा बहेगी और यही समय की मांग है।’

1998 से 2017 में मुख्यमंत्री बनने तक सांसद रहे योगी
गोरखपुर निवासी अवनीश कुमार राय पिंटू ने दावा किया ‘योगी के पक्ष में एकतरफा माहौल है और गोरखपुर से उनके उम्मीदवार घोषित होने से जनता में खुशी की लहर है।’ गोरखपुर योगी आदित्यनाथ का गृह नगर है। वह गोरखपुर लोकसभा सीट से 1998 से 2017 में मुख्यमंत्री बनने तक सांसद रहे।

योगी को गोरखपुर से प्रत्याशी बनने पर क्या बोले अखिलेश?

उनको गोरखपुर सदर सीट से शनिवार को भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी बनाये जाने के बाद राजनीतिक दलों की मिश्रित प्रतिक्रिया आई। राज्‍य की मुख्‍य विपक्षी समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने ट़्वीट किया ”कभी कहा मथुरा — कभी कहा अयोध्‍या — और अब कह रहे हैं गोरखपुर — जनता से पहले इनकी पार्टी ने ही इनको वापस घर भेज दिया है– दरअसल इनको टिकट मिली नहीं है, इनकी वापसी की टिकट कट गयी है।”

मथुरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने की उठी थी मांग
बीते दिनों भाजपा के राज्‍यसभा सदस्‍य हरनाथ सिंह यादव ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर योगी को मथुरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाने की मांग की थी जबकि मीडिया में योगी के अयोध्या से चुनाव लड़ने की अटकलें थीं।

बीजेपी ने ट्वीट करके एक तीर से साधे कई निशाने
गोरखपुर से योगी के उम्मीदवार घोषित होने और विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया के बीच रविवार को भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट़्वीट किया ‘हमारे मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ गोरखपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। बुआ (मायावती), बबुआ (अखिलेश यादव) और मिसेज वाद्रा जी (प्रियंका गांधी वाड्रा) को बताना चाहिए कि आप किस किस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं या हार के डर से चुनाव नहीं लड़ेंगे।’

‘विपक्षी दलों के होश उड़ गये हैं’
भाजपा के गोरखपुर क्षेत्र के वरिष्ठ नेता अजय तिवारी ने दावा किया ‘योगी के मुख्यमंत्री रहने से माफिया, अपराधी और भ्रष्‍टाचारी कांपते थे। अब उनके उम्मीदवार घोषित होने से विपक्षी दलों के होश उड़ गये हैं क्योंकि अभी तक उनमें से एक भी नेता तय नहीं कर पाया कि वह कहां से चुनाव लड़ेगा।

बीजेपी में अंतर्कलह का नतीजा-कांग्रेस
कांग्रेस के फ्रंटल संगठन इंडियन ओवरसीज कांग्रेस की उत्‍तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कैप्टन बंशीधर मिश्र ने सोमवार को बातचीत में कहा ‘गोरखपुर से चार बार के विधायक डाक्‍टर राधा मोहन दास अग्रवाल का टिकट काटकर भाजपा ने योगी को टिकट दिया है। यह संकेत अच्‍छा नहीं है । यह अंतर्कलह का नतीजा है।’

‘एक बार फिर मुख्यमंत्री को हराएगा कांग्रेस उम्मीदवार’
गोरखपुर के मूल निवासी कैप्‍टन मिश्र ने कहा ”योगी के खिलाफ कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार उतारेगी। जिस तरह गोरखपुर के मानीराम में मुख्यमंत्री रहते त्रिभुवन नारायण सिंह को कांग्रेस के पंडित राम कृष्ण द्विवेदी ने पराजित किया था, उसी तरह इस बार योगी को कांग्रेस उम्मीदवार पराजित करेगा।” उन्‍होंने यह भी कहा कि भले ही डॉक्टर अग्रवाल भाजपा के विधायक थे, लेकिन उनका कार्यकाल सराहनीय था और लोकप्रिय विधायक की उपेक्षा का हिसाब जनता जरूर लेगी।

जिन राधा मोहन दास टिकट कटा वो क्या बोले?
बहरहाल, गोरखपुर शहर से 2002 से लगातार चुनाव जीतने वाले डॉक्‍टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा ” मैं पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हूं और पार्टी के निर्णय का स्वागत करता हूं।”

तब कांग्रेस दो गुटों में बंटी थी
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 1970 में जब त्रिभुवन नारायण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तब कांग्रेस दो गुटों में विभाजित थी। तब प्रदेश में चौधरी चरण सिंह की सरकार से कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया था। कांग्रेस के एक गुट ने त्रिभुवन नारायण सिंह को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया और 18 अक्टूबर 1970 को उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद सिंह ने गोरखपुर के मानीराम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा।

महंत अवैद्यनाथ ने दिया था त्रिभुवन नारायण सिंह को समर्थन
इस सीट से योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ हिंदू महासभा से विधायक चुने गये थे और फिर वह सांसद तथा अपने गुरु महंत दिग्विजय नाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी गोरखपुर संसदीय सीट पर हुए उप चुनाव में जीत कर सांसद बने थे। महंत अवैद्यनाथ ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया और कांग्रेस ऑर्गनाइजेशन (संगठन) के उम्मीदवार त्रिभुवन नारायण सिंह को अपना समर्थन दिया था। तब चुनाव में कांग्रेस (इंदिरा) के उम्मीदवार रामकृष्ण द्विवेदी ने सिंह को पराजित कर दिया था। हार के बाद तीन अप्रैल 1971 को त्रिभुवन नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव नहीं लड़ सके थे वीर बहादुर सिंह
गोरखपुर के पनियरा (अब महराजगंज जिले में) विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले वीर बहादुर सिंह भी 24 सितंबर 1985 से 24 जून 1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिला।

अग्रवाल को मिले थे एक लाख 22 हजार से ज्‍यादा वोट
पिछले विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस उम्मीदवार राणा राहुल सिंह दूसरे नंबर पर थे लेकिन डॉक्टर अग्रवाल और उनके मतों के बीच भारी अंतर था। जहां डॉक्टर अग्रवाल को एक लाख 22 हजार से ज्‍यादा मत मिले वहीं राहुल सिंह को करीब 61 हजार मतों पर ही संतोष करना पड़ा।

‘योगी की विदाई होगी बल्कि पूरे प्रदेश से भाजपा का सफाया होगा’
समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने सोमवार को कहा ”हमारे राष्‍ट्रीय अध्यक्ष (अखिलेश यादव) का दावा शत प्रतिशत सच होगा क्योंकि सपा ने 2018 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से भाजपा को हराया था। वहां डॉक्‍टर राधा मोहन दास अग्रवाल का टिकट कटने, अंतर्कलह, झूठ और नफरत की राजनीति के चलते न केवल योगी की विदाई होगी बल्कि पूरे प्रदेश से भाजपा का सफाया होगा।”

त्रिभुवन नारायण सिंह भी हारे थे…योगी भी हारेंगे’
उन्‍होंने कहा कि योगी की विदाई की बात इसलिए भी हो रही है क्योंकि वर्ष 1971 में मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिभुवन नारायण सिंह गोरखपुर की मानीराम विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे।

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